उत्तर पूर्व क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान उमियाम गांव के प्राकृतिक सौंदर्य में स्थित है जो कि शिलांग नगर से लगभग 20 कि.मी. की दूरी पर है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी), नई दिल्ली के अन्य संघटक एककों की भांति यह क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान भी उत्तर पूर्व के आठ राज्यों-असम, अरूणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नागालैण्ड सिक्किम और त्रिपुरा की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करता है। इसका इतिहास वर्ष 1995 का है जब माधुरी शाह की अध्यक्षता में एनसीईआरटी के 'कार्यबल' ने उत्तर पूर्व में एक क्षेत्रीय महाविद्यालय स्थापित किए जाने की सिफारिश की। ईस संबंध में पहला कदम वर्ष 1995 में उठाया गया जब उस समय एनसीईआरटी की गोहाटी और शिलांग में फील्ड इकाईयों का विलय कर शिलांग में उत्तर पूर्व क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान के रूप में विलय कर दिया गया। उस समय अरूणाचल विश्वविद्यालय के तात्कालीन कुलपति प्रोफेसर सी.एल. आनन्द इस संस्थान की स्थापना के लिए खाका तैयार करने में सहायक रहे। लगभग दस वर्ष तक एनईआरआईई एक क्षेत्र कार्यालय के रूप में कार्यरत रहा। तथापि वर्ष 2005 में एनसीईआरटी, ऩई दिल्ली द्वारा प्राचार्य के पद के साथ 24 अध्यापक के पदों को विज्ञापित कर भरा गया। अध्यापक संख्या में वृद्धि के कारण संस्थान के प्रशासनिक स्टाफ की संख्या में बढ़ोतरी हो गई। क्योंकि संस्थान की मानव संख्या बढ़ रही थी, मई 2012 में संस्थान को शिलांग से नांगस्वर गांव उमियाम में स्थाई परिसर में स्थानांतरित किया गया। भवन का उद्घाटन तात्कालीन माननीय मानव संसाधन विकास मंत्री, भारत सरकार डॉ. एम. एम. पहलम राजू ने मानद अतिथि के रूप में मेघालय के उप मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री प्रोफेसर आर.सी.लालू के साथ अनेक गणमान्य व्यक्तियों, श्री राजश्री भट्टाचार्य, भारतीय प्रशासनिक सेवा, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार, प्रोफेसर परवीन सिंक्लेयर, पूर्व निदेशक, एनसीईआरटी, नई दिल्ली और प्रोफेसर ए. सुकमार, संस्थान के पूर्व प्राचार्य, अध्यापक, स्टाफ और अन्य अतिथियों की उपस्थिति में 07 जून, 2013 को किया। एनसीईआरटी के उद्देश्यों के तालमेल में संस्थान के उद्देश्य निम्नवत् हैं - (i). शिक्षा के सभी शाखाओं में अनुसंधान को प्रारंभ करना, सहायता देना, प्रोत्साहन देना और समन्वय करना - किसी एक वर्ष में संस्थान औसतन 8 अनुसंधान कार्यक्रमों का संचालन करता है। (ii). इस क्षेत्र में सेवा-पूर्व प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों का आयोजन करना - संस्थान ने वर्ष 2015 में एक उपलब्धि प्राप्त की जब दो वर्षीय बी.एड. पाठ्यक्रम प्रारंभ किया गया। (iii). आठ राज्यों की शैक्षिक आवश्यकताओं पर आधारित सेवाकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना - संस्थान प्रति अकादमिक वर्ष में औसतन बीस से पच्चीस प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करता है। (iv). समय एवं आयु की आवश्यक्ताओं के अनुसार विद्यार्थियों एवं अध्यापकों के लिए शैक्षिक समग्री, अधिगम संसाधनों का विकास करना - प्रत्येक वर्ष लगभग दस ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। (v). विस्तार सेवाओं का आयोजन करना - इसे मुख्यत: क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर संगोष्ठियों एवं सम्मेलनों के माध्यम से किया जाता है। इसका एकमात्र उद्देश्य संस्थान को विद्यालयी शिक्षा एवं अध्यापक शिक्षा में वर्तमान पद्धतियों में सीखने का स्थान बनाना है। (vi). मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार (एमएचआरडी), भारत सरकार की प्रमुख योजनाओं पर प्रशिक्षण, विकास और अनुसंधान कार्यकलापों में नेतृत्व प्रदान करना। इन गत् वर्षों में संस्थान ने देश में विद्यालयी शिक्षा के सार्वभौमिकरण के लिए सर्वशिक्षा अभियान और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के कार्यान्वयन में अग्रणी भूमिका निभाई। इस अकादमिक वर्ष से संस्थान मा.सं.वि.मं. द्वारा नया प्रारंभ समग्र शिक्षा अभियान पर आरंभ किए गए नवीन कार्यक्रमों पर कार्य करेगा।
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